कन्या भ्रूणहत्या का इतिहास | Kanya bhrun hatya
कन्या भ्रूणहत्या व पर्दाप्रथा
हजारों साल की विदेशी गुलामी के कारण भारत में अनेकों सामाजित बुराइयों ने जड़े जमा ली । इन्ही में से है पर्दाप्रथा और कन्या भ्रूणहत्या (female foeticide) ये कुप्रथाएं पश्चिम भारत मे ज्यादा कठोर हैं लेकिन मोटे तौर पर पूरे उत्तरी भारत मे भी मौजूद हैं। पश्चिम भारत के राज्यों जैसे हरयाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि में ये ज्यादा कठोर हैं यहां तक कि शिक्षित घरों में भी ये कुप्रथा आजतक प्रचलित है। कोई औरत ससुराल के लोगों से पर्दा या घूंघट न करे तो इसे ससुराल वालों का अपमान समझा जाता है इसी तरह लड़की का जन्म भी परिवार में शोक लेकर आता है। www.vedicpress.com
सवाल ये है कि ये बीमारी आई कहाँ से क्योंकि प्राचीन पुस्तकों में कहीं कोई उल्लेख नही मिलता । रामायण, महाभारत जैसे अतिप्राचीन इतिहास (history) पुस्तकों को तो छोड़िए करीब 1500 साल पुरानी कालिदास (kalidas) की पुस्तकों या कल्हण की राजतरंगिणी (rajtarangini) आदि में भी इनका उल्लेख नही मिलता है। तो फिर ये कुप्रथा कब और कैसे शुरू हुई ? इसका कोई सही अनुमान नही है फिर भी कई विद्वानों और इतिहासकारों का मत है कि ये बीमारी मुस्लिम आक्रांताओं के साथ भारत आई होगी क्योंकि स्त्री को पर्दे में रखना अरबी बद्दुओं की परंपरा है । चूंकि आज का हरयाणा, पंजाब, राजस्थान इस्लामी हमलों के पहले शिकार होते थे और यहां के जाट राजपूत गुज्जर अहीर आदि वीर क्षत्रिय लोग मुस्लिमों से लड़ते थे।
युद्ध में हार जाने के बाद डर रहता कि अब मुस्लिम सेना शहर और गावों में लूटमार करेगी तो अपना सम्मान बचाने के लिए लोग स्वयं ही घर की लड़की आदि को मार देते कालांतर में विचार बनने लग गया कि लड़की को पैदा होते ही मार दिया जावे तो अच्छा रहे ताकि विधर्मियों के हाथों बलात होने की संभावना ही खत्म हो जाए अब क्षत्रियों की देखा देखी सामान्य वर्ग ने भी यही करना शुरू कर दिया क्योंकि मुस्लिम तो सबके साथ बलात करते थे अकेली क्षत्रिय कन्याओं के साथ नहीं इसलिए जल्द ही ये रक्षात्मक रवैया सारे देश मे अपना लिया गया । दक्षिण भारत जहां इस्लाम देर से पहुंचा और थोड़े ही दिन रह पाया वहां ये रक्षात्मक रवैया आया तो होगा लेकिन परम्परा न बन पाया होगा लेकिन दिल्ली के आसपास के इलाकों में जहां मुस्लिमो का प्रभाव अंत तक रहा । ज्ञान के अभाव में नवजात कन्या भ्रूणहत्या एक परम्परा बन गई । यह कन्या भ्रूणहत्या आज तक भी चली आ रही है । www.vedicpress.com
यहीं पर्दा डालने की प्रथा का बीज पड़ा सम्भवतः जब मुस्लिम राज कायम हो गया । तो मुस्लिम औरते बुर्का पहन कर रहती थी। लेकिन वैदिक धर्मी औरते साड़ी ही पहनती थी क्योंकि भारत का सांस्कृतिक पहनावा साड़ी ही है सलवार कमीज नही। ऐसे में जब हमारे घरों की औरते बाहर निकलती तो मुस्लिम सिपाहियों की अश्लील नजर उन पर रहती। अब जाएं तो कहां जाएं ऐसे में मुंह को छुपाकर घर से निकलने का रक्षात्मक रवैया अपनाया गया होगा क्योंकि हमारे यहां मुंह वो नही दिखाता जो गलत काम करता है।
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