काव्य क्या है व इनमें किसका वर्णन किया गया है ?
काव्यों में क्या महत्वपूर्ण हैं ?
अश्व घोष
कालिदास
महाकवि कालिदास के दो काव्य अत्यंत प्रचलित एवं प्रसिद्ध हैं। कुमारसंभव और रघुवंश। यह असंभव है कि कोई रचना कालिदास की हो और उसमें अश्लीलता न होवे। कुमारसंभव में तो अश्लीलता की पराकाष्ठा कर दी गई है। महादेव और पार्वती के संभोग के वर्णन इतना कुत्सित और नंगे रूप में चित्रित किया गया है कि कोई भी भला व्यक्ति इसको पढ़े और लज्जा से शिर नीचा न कर लें। इस ग्रंथ को लड़के और लड़कियों के हाथों में देना ऐसा है मानो उनको अपने हाथ से वध कर दिया गया हो। सुकुमारमति ब्रह्मचारी बालक और बालिकाओं के लिए कुमारसंभव महाकव्य महा भयंकर विष है। ब्रमचर्य का महानाशक पापास्त्र है। न जाने कालिदास ने अपने संस्कृत भाषा के अधिकार का ऐसा दुरुपयोग क्यों न किया? यह 17 सर्गो में पूर्ण हुआ है। प्राकृतिक वर्णन शैली स्वाभाविक रूप से दी गई है। रघुवंश काव्यों में सूर्यवंशी राजाओं की प्रसिद्ध नामावली और उनका यशागान पाया जाता है। राजा दिलीप से कुश तक का वर्णन अवान्तर रूपों सहित दिया गया है।
वेद भाष्य कौन से है और किस भाष्यकार के उत्तम भाष्य है ?
भारवि
भारवि महा कवि विचरित किरातार्जुनिया नामक महाकव्य राजनीति से परिपूर्ण है। इस काव्य की कथा महाभारत के वन पूर्व से ली गई है। इसमें दुर्योधन की शासन प्रणाली की श्रेष्ठता और लोक प्रियता प्रकट की गई है। इसमें अर्जुन और शिव का युद्ध उत्कृष्ट रूप में वर्णित है। इसमें प्रकृति वर्णन और वीर रस की शोभनीय छटा प्रकट की गई है। काव्य के भावगम्भीर और वाणी ओज; पूर्ण है। काव्य के सब लक्षण इस काव्य में घटते है। गुण, रस, अलंकार आदि के वर्णन करने में कवि सिद्ध हस्त है। ओजास्विता तो मानो काव्य का प्राण ही है। इसमें 18 सर्ग हैं। काव्य के पाठ से स्वतंत्रताभिमान उतपन्न होता है।
स्मृति क्या है व मनुस्मृति कौन-से संविधान पर आधारित है ?
माघ
माघ कवि द्वारा रचित “शिशुपाल वध” महा काव्य हैं। इस काव्य में जटिलता ने प्रवेश कर लिया है। वर्णन शैला गंभीर और पाण्डित्य पूर्ण होते हुए भी स्वाभाविक नहीं है। जैसे कि कालिदास और भारवि की रचना में है। इसमें 20 सर्ग है। महाभारत की कथा शिशुपाल वध का चित्रण किया गया है।
उपांग क्या और कितने है यह विद्या का प्रमाण कैसे है ?
श्री भृतहरि
भट्टी काव्य एक विचित्र काव्य है। इस का रचयिता श्री भृतहरि को कहा जाता है। इसमें रोचक कथा का वर्णन होते हुए भी व्याकरण के नियमों को व्याख्या और उदहारण पूर्वक समझाया गया है। ऐसा वर्णन करना अत्यंत कठिन कार्य हैं, फिर भी रचना में अरोचकता नहीं आई है। कवि की काव्य शक्ति का अच्छा चमत्कार देखने को मिलता है। व्याकरण जैसे शुष्क विषय को रोचक काव्य के रूप में प्रकट करना साधारण कवि और पण्डित का काम नहीं है। यह काव्य बुद्धिमता पूर्ण है
वेद के अंग कौन-कौन से है जो उन्हें समझने में सरल बनाते है ?
श्री हर्ष
- वैदिक धर्मी