हांसी-हिसार का अमर बलिदानी – वीर हुकमचन्द
हांसी-हिसार का अमर बलिदानी हुकमचन्द 1857 kranti in hindi
(हांसी-हिसार में जिसको घर के सामने ही फाँसी पर लटका दिया)
हांसी-हिसार में 1857 की महान क्रांति ने भारत के कोने-कोने में उथल-पुथल मचा दी थी। अनेक देशभक्त वीर हंसते-हंसते आजादी की बलिवेदी (Altar) पर अपना जीवन न्यौछावर कर गए। इतिहास प्रसिद्ध हांसी नगर पृथ्वीराज चौहान के समय से अपनी विशेषता रखता है। सन १८५७ में भी हांसी नगर किसी से पीछे नहीं रहा। दिवंगत दुनीचन्द के सुपुत्र श्री हुकमचन्द जी (जो हांसी-हिसार और करनाल के कानूनगो थे) को मुगल बादशाह (Mughal emperor) ने 1841 में विशिष्ट पदों पर नियुक्त करके इन प्रान्तों का प्रबंध बना दिया। www.vedicpress.com
जब भारतवासी अंग्रेजों की परतंत्रता से स्वतंत्र होने के लिए संघर्ष कर रहे थे । तब श्री हुकमचन्द जी ने फारसी भाषा में मुगल बादशाह जाफ़र को निमंत्रण पत्र भेजा कि वह अपनी सेना लेकर हांसी-हिसार के अंग्रेजों पर चढ़ाई कर दे।
सितंबर 1857 में जब शाह जाफ़र को जब अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया तब उनकी विशेष फाइलों में वह निमंत्रण पत्र मिला, जो कि हुकमचन्द ने बादशाह को भेजा था। हिसार की सरकारी फाइल में वह पत्र आज भी विद्यमान है।
देहली (delhi) के अंग्रेज़ कमिश्नर ने वह पत्र हिसार डिवीजन के कमिश्नर को उसपर तत्काल कार्यवाही करने के हेतु भेज दिया। किन्तु सरकार का विरोध करने के अपराध में 19 जनवरी 1858 को श्री हुकमचंद को उनके घर के सामने फांसी पर लटका दिया गया। उनके संबंधियों को उनका शव तक भी नहीं दिया गया। लाला हुकमचंद के शव को जलाने के स्थान पर भूमि में दफना कर हमारी धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात (Atrocity) किया और उनकी चल-अचल संपत्ति भी जब्त कर ली गयी। ला० हुकमचन्द जी के दो भाई थे, किन्तु केवल उन्हीं के भाग की 84-85 एकड़ भूमि जब्त (Confiscated) कर ली गयी। शेष दोनों की पितृ-संपत्ति अब तक चली आ रही है। vedicpress.com
50 वर्ष की आयु में हुकमचन्द जी को फांसी (capital punishment) पर लटकाया गया था। उनके दो सुपुत्र एक 8 वर्ष का और एक 13 वर्ष का ही था। 400 तोला सोना, 4 हजार तोले चाँदी, अनेक गाय, भेंस, ऊंट आदि पशु और अन्न तथा घर का सामान अल्पतम मूल्य (Minimum price) पर नीलाम (Auction) कर दिया गया ।
श्री हुकमचन्द जी के दस कुटुम्ब अब भी फल-फूल रहे है। हरयाणा प्रांत (haryana state) का इतिहास (history) ऐसे ही वीरों के बलिदानों (Sacrifices) ने भरा पड़ा है। अगले लेख में आपको हरयाणा व भारत वर्ष के अन्य वीरों की अमर कहानियां बतायेंगे आप जितना हो सके इनको प्रचारित प्रसारित करने का प्रयास करें व सबको इस वेबसाईट से जोड़े ताकि राष्ट्रवादी विचारों का प्रवाह बना रहे । www.vedicpress.com